Wednesday 18 February 2015

वो लिखता है चिट्ठी पर जिंदगी

उसे ठहरना है , नये रास्ते के लिए , उसने उसके लिए जानां नाम बुना है , उसका जाना लिखना उसकी आत्मा को छिलता हुआ उसे पवित्र करता है, उसने पहली बार जाना की जहाँ वो अब तक धुँए को ले जाने की तमाम कोशिशें किया करता था, वहाँ तक सिर्फ उसके शब्द पहुँचते है, भीतर गहरे तक उतरते है , अब उसने इस तरह की कोशिशें बंद कर दी है , बहुत शोर , भीड़, लोगो के बीच वो खुद को तन्हा पता है, उसके पास जाना चाहता है, पानी के लिए तरसते रेगिस्तान मे पांच दिन से भटके मुसाफिर की तरह , हर मुलाकात के बाद अगली मुलाकात की तेज इच्छा की तरह , तुम्हे गले मिलने की तरह , शायद कुछ ऐसा है हाँ शायद , हालांकि अब वो शायद जैसे और भी जैसे शब्दो से नफरत करने लगा था , उस रात उसने कहा था वह उस से प्रेम करती है और उसने कहा था की वह भी , भी प्रेम करता है जबकि उसे कहना था वह प्रेम करता है , भी शब्द ने उसकी उस पूरी रात का कत्ल किया था, उसे बीच के रास्ते पर नहीं चलना था, उसने पाश की नई किताब खरीदी है बीच का रास्ता नहीं होता ,उस रात उसने पहली द्फा उसके होंठो को चूमा था, उसके होंठो के निशान उसकी आत्मा पर उतर आये थे, वह बहुत लोगो को , चीजो को नकारना चाहता है, नफरत करना चाहता है, उसे सिर्फ उसका होना है उसके बिना वह नफरत करने लगे प्रेम से , अंधरे से शहर से लोगो से कविताओं से सिगरेट से कम्यूनिस्ट लोगो से , उसे उसके कंधे पर सर रख कर तुम होना है , उसे पहनने है मोजे इत्मिनान से गले मिलना है पत्थर होना है और मर जाना है , उसे लगता है उसकी आत्मा तक का रास्ता उसकी आंखो से होकर जाता है, वह उसके लिये निशब्द होता है , उसके लिए बेतरह टाइप वाला लिखना चाहता है जो सिर्फ उसके लिए हो , उसे बहुत कुछ अधूरा छोड़ना है वी शुड और और वी शुड नॉट के दिन कि तरह , उनके बीच वायदों जैसे तन्ग शब्दों ने अपने अर्थ खो दिये है बहुत छोटे हो गये है , तन्ग लिखा नहीं जा रहा सच मे कितना तन्ग है , उन्हे पता है वो इन सब से कितना अलग है , वो लड़का लिखता है क्या फर्क पड़ता है हालांकि उसे बहुत फर्क पड़ता है , कुछ ऐसा ही उसे फिलहाल इस बारे मे बात नहीं करनी या वो इस बारे सोचना नहीं चाहता . सुनो इस बार मिलो तो कस कर गले लगा लेना