Tuesday 31 March 2015

उसे समंदर नहीं नदी की तलाश थी

अब से पहले उस लड़के के लिए ये शहर बेरहम था . अक्सर रातों में वो फ़ोन में लोग तलाशता  किस से बात की जाये और खुद को खाली पाता . उसे कोई ऐसा नहीं मिलता जिस से बात की जाये . आखिर में वो एक और सिगरेट जलाता फिर ऐसे ही किसी का नंबर तलाशता , और कुछ ना मिलता , एक कॉफ़ी पर प्यार हो जाना , हाँ , उसका होना शहर में नदी होना था हाँ शहर में नदी होना सच , ये सच जेठ की गर्मी जितना सच था , जिसे उसके स्पर्श से मापा जा सकता था . वो लड़की बेतरह पागल निरंतर किनारो की तोड़ती चलती , उसे किसी समंदर में मिलने का दिल नहीं था , लड़के के छूते ही मानो नदी ठहर गयी हो , हालाँकि उसे ऐसा नहीं होना था या ऐसा ये ना वो जानती थी ना वो लड़का , लड़के ने अपना सब सामान उस नदी में फेंक दिआ  था , क्यूंकि उसे ऐसा ही करना था , उसने ऐसा करने से पहले कुछ सोचा नहीं , उसे  नदी चाहिए थी , हाँ नदी , वो लड़का नदी में बहने लगा बेपरवाह , लेकिन अब वो ठहर गयी थी , वैसे भी ये मौसम पतझड़ का है ना, बहुत कुछ रुखा हो गया था , उसे लगता उसकी परछाई से नदी ठहर गयी है  , और ये पतझड़ नहीं उसकी गंध से पत्ते झड़ रहे है , उसे शायद वापिस किनारे पर लोटना चाहिए , उसे शहर में नदी चाहिए कैसे भी ,और अमलतास के फूल  

Tuesday 24 March 2015

डायल किया गया नंबर वैध नहीं है

लड़की उदास है , और फ़ोन बंद , तमाम कोशिशें करने के बाद वो सुनता है तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को  और उसके नाम चिठ्ठी लिख कर सो जाता है , लड़की के उदास होने के अपने कारण थे जिसे वो लड़का नहीं जान पा रहा था , इन कारणों का एक हिस्सा उसने भी रंगा था किसी बेख्याली में ,  बस वो इतना जान पा रहा था की उसकी उदासी से  उसके शहर में बेमौसमी लू चलने लगी थी , लोगो ने घरो से निकलना बंद कर दिया था , उसके साथ साथ शहर भी सांसे लेना भूल रहा था , जैसे जैसे परछाई डूबने लगती थी उस लड़के को उसका होना चाहिए होता था बेतरह टाइप वाला , उसके होने से शहर में चाँद सी ठंडक रहती थी लोग पीली रौशनी में बैठ कविताओं को सच करते थे , उसके बिना उस लड़के के दिल में था एक डर ,  , नहाते वक्त पानी के बीच ली सहमी सी साँसे , मरे हुए परिंदे , जला हुआ पेड, टूटी हुई चूडियाँ ,सुनी मांग , खारी आँखे , पुराना श्मशान का सपना , ठंडी चिता , रूकी हुई घडी , सुन्न होते हाथ , टूटी कलम , काले पन्ने , सिलन भरी दीवार , बिना कपडो के दिसंबर मे स्टेशन पर पडी लडकी ,  गुम होते सिक्के , खुद ब खुद  डायरी मे  आत्महत्या करते सुखद पन्ने , ट्रेन मे छूटी किताब , खुरदरा असहनीय स्पर्श , बारिश में धुली तस्वीरें , उसके बिना दिन भर की थकान के बाद होती है और थकान , उसका होना सम्भावनों का होना था उस लड़के के लिए, बीच रात मे फिर उठता है और सुनता है डायल किया गया नम्बर स्विच आफ है .

Tuesday 3 March 2015

मेरी तरह तेरा दिल बेक़रार है के नहीं


बेतरह पागलपन
तुम्हारे होने से इन शब्दों ने अर्थ खो दिए है ,, अब मेरे लिए ये शब्द नहीं होते इनमे तुम होती हो , तुम्हारी परछाई , तुम्हारी महक , तुम्हारी बेबाकी ,लापरवाही , बेतरह महोब्बत , जानते हुए भी डूबना ,रह गया है मेरे भीतर ,  तुम्हारे लिए दुनिया एक्सिस्ट नहीं करती ना  ,, कितना मुश्किल है तुम्हारी तरह होना ,यूँ  मेट्रो में सिटी बजाना , छोटी छोटी चीजो को तलाशना और उन्हें जीवन देना,  इतना डूब कर जिंदगी जीना ,, जान ले लोगी बे तुम , और ये तीन रोज इश्क़ कतई नहीं है ,, मै बहुत गैरजरुरी लिखता हु , फिर बोलता हु क्या फर्क पड़ता है, तुम बहुत कुछ छोड़ गयी हो , जिसे कोई भर नहीं सकता , तुम्हारा यूँ खुद को लूटाना आअह ,,, बैठ गया है , सच मैंने बहुत बहुत इकठ्ठा कर लिए है तुम्हे इतनी जल्दी में बिना सोचे जो मिला सब , किसी को लूटने की तरह, जैसे बचपन में हम किसी मेहमान के जाने पर नमकीन बिस्कुट से अपनी जेबे भरते थे , दिल की जेबो में भर लिए है ,, खचाखच ,
मेरे हिस्से का बहुत कुछ रह गया है , तुम्हारे लिए , मिलेंगे किसी खोये हुए शहर में , खूब सारे  खतो के साथ , गुलाबो के साथ , मिलकर भटकेंगे , लोगो को तलाशेगें
जियो लड़की , और हम तुम्हे पकड़ लेंगे तुम बेफिक्र रहो , दुनिया बहुत छोटी है ,