जिसमे रखे है सुरखित
तुम्हारे लिए किसी जंगल
से खोज कर लाये
शब्द,
और
हमारी तमाम मुलाकातें
तोहफे , किताबें , आधी रात की अधूरी कवितायें ,
रद्दी बन चुके अखबार
और वो कमीज आखिर की
जिसे नहीं पहना गया है
तुम्हारे आखिरी बार चूमने के बाद से
जो पड़ी है किसी मरीज की तरह
मैले बिस्तर पर भूखी
जिसे इंतेजार है
तुम्हारे खत का
के जल्दी से आए
उसे रख ले अपनी जेब मे
खाये हर रोज एक शब्द
और रह सके जिंदा
खुछ और समय
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