बेतरह पागलपन
तुम्हारे होने से इन शब्दों ने अर्थ खो दिए है ,, अब मेरे लिए ये शब्द नहीं होते इनमे तुम होती हो , तुम्हारी परछाई , तुम्हारी महक , तुम्हारी बेबाकी ,लापरवाही , बेतरह महोब्बत , जानते हुए भी डूबना ,रह गया है मेरे भीतर , तुम्हारे लिए दुनिया एक्सिस्ट नहीं करती ना ,, कितना मुश्किल है तुम्हारी तरह होना ,यूँ मेट्रो में सिटी बजाना , छोटी छोटी चीजो को तलाशना और उन्हें जीवन देना, इतना डूब कर जिंदगी जीना ,, जान ले लोगी बे तुम , और ये तीन रोज इश्क़ कतई नहीं है ,, मै बहुत गैरजरुरी लिखता हु , फिर बोलता हु क्या फर्क पड़ता है, तुम बहुत कुछ छोड़ गयी हो , जिसे कोई भर नहीं सकता , तुम्हारा यूँ खुद को लूटाना आअह ,,, बैठ गया है , सच मैंने बहुत बहुत इकठ्ठा कर लिए है तुम्हे इतनी जल्दी में बिना सोचे जो मिला सब , किसी को लूटने की तरह, जैसे बचपन में हम किसी मेहमान के जाने पर नमकीन बिस्कुट से अपनी जेबे भरते थे , दिल की जेबो में भर लिए है ,, खचाखच ,
मेरे हिस्से का बहुत कुछ रह गया है , तुम्हारे लिए , मिलेंगे किसी खोये हुए शहर में , खूब सारे खतो के साथ , गुलाबो के साथ , मिलकर भटकेंगे , लोगो को तलाशेगें
जियो लड़की , और हम तुम्हे पकड़ लेंगे तुम बेफिक्र रहो , दुनिया बहुत छोटी है ,
No comments:
Post a Comment