ग़ैरक़ानूनी
Thursday 10 December 2015
इक्कीस की उम्र
लड़का देख रहा है
दुनिया बदलने का सपना
मांग रहा है
आदमी होने का हक
नकार रहा है
तयशुदा रस्में
सोच रहा है
कितनों ने पढ़कर
सिमोन
,
सार्त्र
,
प्रभा
ठुकराया होगा समाज
गिराया होगा
मजबूती से
अनकहा गर्भ
कितनों ने
बनना चाहा होगा
इक्कीस की उम्र में
फैनन
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