हां सच 
वो नही जानता 
कैसे
होता है जीना....
जैसे तुम नही जानती 
दाह संस्कार के बाद 
राख से निकालते हुए 
किसी आदमी
की हड्डियों की गंध, 
असहनीय क्षणों में 
सस्ते
तंबाकू का स्वाद, 
सहानुभूति का रिवाज
बंद कमरों का विलाप 
छतों से टपकता पानी
बारिश में धूली तस्वीरें
हथेली पर जन्मी 
गांठों की
छुअन
गोंड लोगों का दफनाना
लडकी के फांसी के बाद का
समेटना
आंखो को चूमने की चाहना
सिरहाने रखे दर्द, 
अफवाहों का मौसम
गले लग रोना
लौटना
पछताना 
शून्य
पलायन
निस्तब्धता में गूंजते गाने 
आंखों की उलझने
स्याह कविताओं की रातें
लौथड़ा जो ९ महीने के बाद भी
नही जन्मता
पुर्नजन्म का सुख 
इश्वर में आस्था
बर्फ में काम करने वालों का 
खून का रोना
इंतजार के जवाब में 
शव का
लौटना 
नाजुक क्षणों के बाद 
सिगरेट
की तलब
लाभ हानि का प्रेम
नदी किनारे चावल की गुडिया ॉ
रंगने के टोटके
आंखों में उबलता विद्रोह
पत्थराए हुए शब्द 
हाइगेट कब्रिस्तान
बहुत फर्क होता है भूलने और
भूल पाने में...
 
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