Wednesday 21 May 2014

मेरे गाँव की सुनसान सड़क-

मेरे गाँव की सुनसान सड़क-
हम मिलते है रात मे अक्सर 
वो करती है मुझसे बातें 
ठहर कर 
वहाँ चलने वाली ठंडी हवाएँ 
चूमती है मुझे 
मेरी अघोषित प्रेयसी से बेहतर 
उसकी कोख मे पल रहे 
कीट पतंगे 
करते हैं मेरा इंतेजार बेसब्री से
वो नहीं है नाराज मुझसे
के मे नहीं जानता
हम पहली द्फ़े कब मिले थे
ना याद है मुझे अपनी सालगिरा
लेकिन
दुत्कार देती है मुझे वो
जब पहन पुमा के सेंडिल
मैं जाता हूँ उस से मिलने
क्योंकि
उसे पसंद है ग्रामीण चप्पल
उसे नहीं अच्छी लगती सिगरेट
वो पीती है

अधजली बीड़ियाँ
जो छोड़ जाते हैं
खुछ अच्छे लोग

वो शहर नही जाती 
और जाना भी नही चाहती
वो मेरे गाँव की सुनसान सड़क
हम करते है बातें रात मे अक्सर

ठहर कर ------

--अभिनव गोयल

समय 1-34 रात के और मुझे सता रही है तुम्हारी याद -- उस रात की अधूरी कविता ।
डरती है मेरी सड़क इस शहर से , मे बुलाता हु इसे प्यार से _____
सुना है तुम्हारे शहर मे जलेबी देर से देने पर गोली मार दी जाती है- असुविधा के लिए खेद है- सोचने का दिल नहीं है -- कभी कभी बिना सोचे भी लिखना चाहिए ज्यादा नहीं लिखूगा मुझे याद आ रहा है की कनही किसी को बुरा ना लग जाए । यकीन जानिए शिकायत का मौका नहीं देनेगे ।

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