Wednesday 21 May 2014

अधूरा छूटा चुम्बन

मुझे यकीन है 
तुम आओगी, 
उस शाम का अधूरा छूटा चुम्बन पूरा करने 
उन्हीं घर की उतरती सीडियों पर 
लेकर बेस्वाद सा बहाना, 
चीनी ,पत्ती या पुरानी किताब का 
चूमोगी मुझे बेसब्री से 
और समेट लोगी 
मुझे अपने आलिंगन मे 
हर बार की तरह ,
लेकिन इस बार आंखे खोलकर ,
मैं देखना चाहता हूँ
तुम्हारी आंखो मे तपते रेगिस्तान को ,
भरना चाहता हूँ

उसे लाल स्याहीं से
डूबना चाहता हूँ
उसमे कागज की कश्ती की तरह
जल्दी से ,बहुत जल्दी से ...........

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