मै फेंक देना चाहता हूँ ,
अपनी महबूब का फोटो अपने पर्स से ,
और लगा लेना चाहता हूँ
मंगल पांडे को
खाना चाहता हूँ
भर पेट कारतूस
भरना चाहता हूँ
अपनी जेबे गुलाल से
रंग देना चाहता हूँ
हर मुसाफिर का मुँह
मैं जला देना चाहता हूँ
आजादी के दिन के तमाम अखबार
मैं डाल देना चाहता हूँ
जलते टायर उनके गले मे
जिन्होनें अपने आप को अंदर से मार लिया है
और सीख लिया है
हर लूट पर चुप रहना
मैं पीना चाहता हूँ
पानी सिंधूर घोलकर
फुंकना चाहता हूँ बिगुल
बीच चोराहे पर खड़ा होकर
के साथी बिना लड़े कुछ नहीं मिलता
बिना लड़े लूट जाया करती हैं
अस्मते बंद तिजोरियों की
जल जाया करती है
बस्तिया मेहनत कश इंसानों की
के साथी बिना लड़े खुछ नहीं मिलता
अपनी महबूब का फोटो अपने पर्स से ,
और लगा लेना चाहता हूँ
मंगल पांडे को
खाना चाहता हूँ
भर पेट कारतूस
भरना चाहता हूँ
अपनी जेबे गुलाल से
रंग देना चाहता हूँ
हर मुसाफिर का मुँह
मैं जला देना चाहता हूँ
आजादी के दिन के तमाम अखबार
मैं डाल देना चाहता हूँ
जलते टायर उनके गले मे
जिन्होनें अपने आप को अंदर से मार लिया है
और सीख लिया है
हर लूट पर चुप रहना
मैं पीना चाहता हूँ
पानी सिंधूर घोलकर
फुंकना चाहता हूँ बिगुल
बीच चोराहे पर खड़ा होकर
के साथी बिना लड़े कुछ नहीं मिलता
बिना लड़े लूट जाया करती हैं
अस्मते बंद तिजोरियों की
जल जाया करती है
बस्तिया मेहनत कश इंसानों की
के साथी बिना लड़े खुछ नहीं मिलता
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